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क्लिक करें और जानें आखिर क्यों मनाई जाती है नृसिंह जयंती, जानिए महत्व और पूजाविधि

आस्था न्यूज प्रतिवर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान विष्णु के चौथे अवतार भगवान नृसिंह का प्राकट्य पर्व मनाया जाता है। इस दिन को नृसिंह जयंती या नृसिंह चौदस के रूप में मनाया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस बार वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 21 मई को शाम 5.40 बजे शुरू होगी और यह तिथि 22 मई को शाम 6.45 बजे समाप्त होगी। इस दिन संध्या काल में भगवान नृसिंह की पूजा की जाती है। इस तरह यह त्योहार 21 मई 2024, मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा का समय शाम 4.24 बजे से शाम 7.09 बजे के बीच होगा।

कौन हैं भगवान नृसिंह :- सृष्टि के पालनहार और सम्पूर्ण जगत के स्वामी भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद को राक्षस हिरण्यकश्यपु से बचाने के लिए नरसिंह अवतार लिया था। नृसिंह अवतार भगवान विष्णु के दस अवतारों में से चौथा अवतार है। भगवान नृसिंह शक्ति और पराक्रम के देवता हैं, इन्हें शत्रुओं के नाशक के रूप में जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए आधा मनुष्य व आधा शेर का शरीर धारण करके दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यपु का वध किया था। इस विशेष तिथि पर भगवान नरसिंह जी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि भगवान नरसिंह की पूजा करने से संकटों से मुक्ति मिलती है।

नृसिंह भगवान की पूजाविधि :- इस दिन नृसिंह भगवान की पूजा शाम के समय करने का विधान है। पूजा से पहले स्नान करके धुले हुए वस्त्र पहन कर पूजा स्थल के ईशान कोण में एक चौकी पर लाल, श्वेत या पीला वस्त्र बिछाकर उस पर भगवान नृसिंह और मां लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें और पूजा करने के लिए पूर्व की ओर मुख करके बैठ जाएं। भगवान नृसिंह की पूजा में पंचामृत, फल, पुष्प,पंचमेवा, कुमकुम केसर, नारियल, अक्षत व पीतांबर का प्रयोग करें। देशी घी का दीपक भगवान के सामने जलाएं। भगवान नृसिंह के मंत्र ऊं नरसिंहाय वरप्रदाय नम: मंत्र का जाप करें। इस दिन गरीब लोगों को गर्मी से राहत देने वाली ठंडी चीजें दान में दें।

Kullu Update
Author: Kullu Update

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