आस्था अपडेट ,नवरात्र का पर्व सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। इस दौरान भक्त अत्यधिक भक्ति और समर्पण के साथ मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही नौ दिनों तक कठिन उपवास का पालन करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, गुप्त नवरात्र साल में दो बार माघ और आषाढ़ माह में आते हैं। इस बार आषाढ़ गुप्त नवरात्र (Gupt Navratri 2024) की शुरुआत 6 जुलाई, 2024 यानी आज से हो रही है।
भोग – पूरी, चना, हलवा।
प्रिय रंग – लाल
प्रिय फूल – गुड़हल
घट स्थापना शुभ मुहूर्त – कलश की स्थापना 06 जुलाई सुबह 05 बजकर 11 मिनट से लेकर 07 बजकर 26 मिनट पर करना अच्छा होगा।
आषाढ़ गुप्त नवरात्र की पूजा विधि :- सुबह उठकर पवित्र करें। पूजा शुरू करने से पहले व्रत का संकल्प लें। घर और पूजा कक्ष को अच्छी तरह साफ करें। एक वेदी पर देवी की प्रतिमा स्थापित करें। उनका अभिषेक करें। लाल रंग की चुनरी और 16 शृंगार की सामग्री अर्पित करें। कुमकुम का तिलक लगाएं। देसी घी का दीपक जलाएं। मिट्टी के पात्र में जौ के बीज बोएं। मां के समक्ष अखंड ज्योति जलाएं। गुड़हल के फूलों की माला अर्पित करें।
पूरी, बतासा, चना, हलवा, फल मिठाई आदि चीजों का भोग लगाएं। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। आरती से पूजा का समापन करें। पूजा में हुई गलती के लिए क्षमायाचना करें।
मां दुर्गा के मंत्र
- ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
- या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।