आस्था अपडेट ,श्रावण मास, जिसे सावन भी कहते हैं हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण महीना है। शास्त्रों के अनुसार, यह माह भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस साल सावन का महीना 22 जुलाई,सोमवार को शुरू होकर 19 अगस्त को समाप्त होगा। इस बार सावन के महीने में अद्भुत संयोग बन रहा है और सावन के अंतिम दिन भी सोमवार को पड़ रहा है। इस बार सावन में 5 सोमवार पड़ रहे हैं। सावन माह में पांच सोमवार पड़ना बहुत शुभ माना जाता है।
श्रावण माह का महत्व :- पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन माह में भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरान विष पान किया था और उसे अपने कंठ में धारण कर लिया, जिससे वे नीलकंठ कहलाए। इस घटना के स्मरण में, श्रद्धालु सावन के महीने में शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं और उपवास रखते हैं। श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को श्रावण सोमवारी कहा जाता है, जो शिव भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इन दिनों भक्त उपवास रखकर शिवालयों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि इस महीने में विधिपूर्वक शिवजी की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि सावन के सोमवार के व्रत से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस मास में ध्यान, योग और साधना करने का विशेष महत्व है। यह समय आत्मशुद्धि और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए उपयुक्त माना जाता है। श्रावण मास के दौरान कांवड़ यात्रा का भी विशेष महत्व है। कांवड़िये गंगा जल लेकर लंबी यात्रा करके शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। यह यात्रा धार्मिक उत्साह और शिवभक्ति का प्रतीक है।
श्रावण मास में क्या करें :-
पूजा और व्रत- श्रावण मास में सोमवार का व्रत और शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र अर्पित करना विशेष फलदायी होता है। इस दौरान भगवान शिव की आराधना और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना अत्यंत लाभकारी होता है।
दान- इस मास में दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है। गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करना चाहिए। इससे आत्मिक सुख और पुण्य की प्राप्ति होती है।
सत्संग और कीर्तन :- श्रावण मास में सत्संग और भजन-कीर्तन का आयोजन करना चाहिए। इससे मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
श्रावण मास में क्या ना करें
असत्य और हिंसा से बचें :- इस मास में असत्य बोलने, झूठे आरोप लगाने और हिंसा करने से बचना चाहिए। यह समय शांति, सच्चाई और प्रेम का पालन करने का है।
वर्जित आहार का सेवन :- श्रावण मास में तामसिक और मांसाहारी भोजन का सेवन वर्जित है। इस दौरान सात्विक भोजन करना चाहिए और शराब, धूम्रपान आदि से भी दूर रहना चाहिए।
अपराध और अनैतिक कार्य :- इस मास में किसी भी प्रकार के अपराध, अनैतिक कार्य और छल-कपट से बचना चाहिए। इससे भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।