देश-दुनिया ,पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) की सचिव अलका उपाध्याय और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) के सचिव तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने संयुक्त रूप से एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। यह सत्र राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र (एनएएससी) परिसर में आयोजित किया गया था, जिसमें पशुपालन एवं डेयरी विभाग और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
सत्र में सुश्री अलका उपाध्याय ने कहा कि पशु उत्पादकता में सुधार, चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने और टीकाकरण कवरेज को बढ़ाने के लिए एक समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन उद्देश्यों को प्राप्त करने और पशुधन क्षेत्र पर बीमारियों के प्रभाव को कम करने के लिए पशुपालन एवं डेयरी विभाग और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के बीच सहयोग महत्वपूर्ण है। उन्होंने डीकार्बोनाइजेशन प्रयासों के हिस्से के रूप में पशुधन एंटरिक किण्वन से मीथेन उत्सर्जन को रोकने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।
डॉ. हिमांशु पाठक ने पशुपालन एवं डेयरी विभाग और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के बीच सहयोग के महत्व पर जोर दिया। इस बैठक में पशुपालन और डेयरी क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों पर विचार करने के लिए समन्वित और व्यापक दृष्टिकोण बनाने की जरूरत बताई गई।
बैठक में कई प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया:
- उत्पादकता और लचीलापन बढ़ाने के लिए पशुओं की आनुवंशिक क्षमता को बढ़ाने की पहल।
- पशुओं के स्वास्थ्य और उत्पादकता के लिए आवश्यक उच्च गुणवत्ता वाले चारे की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने की रणनीति।
- पशुओं को पुरानी और नई बीमारियों से दूर रखने के लिए नई पीढ़ी के टीकों सहित प्रभावी टीकों का विकास।
- नीति और हस्तक्षेप रणनीति तैयार करने के लिए पशुधन क्षेत्र द्वारा सामना की जाने वाली बीमारियों और अन्य चुनौतियों के आर्थिक प्रभाव पर अनुसंधान।
- रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) की निगरानी और उससे निपटने के लिए निगरानी प्रणाली को मजबूत करना।
बैठक का समापन पशुपालन एवं डेयरी विभाग और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के बीच सहयोग को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता के साथ हुआ। सत्र का साझा लक्ष्य पशुधन क्षेत्र के विकास के लिए नवीन अनुसंधान, प्रभावी नीतियों और व्यापक कार्य योजनाओं को तैयार करना रहा।