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यहां आज भी जलता है शिव पार्वती के विवाह के दौरान जलाया गया अग्निकुंड , दर्शन करने से होती है मनचाहे वर की प्राप्ति

आस्था अपडेट ,सावन का महीना हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है, क्योंकि यह भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इस महीने में भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए व्रत रखते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। इस साल श्रावण मास में कुल 5 सोमवार पड़ रहे हैं, जो बेहद शुभ माना जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आज यानी 12 अगस्त को सावन का चौथा सोमवार है।

वहीं, 16 अगस्त को सावन (Sawan 2024) का आखिरी सोमवार पड़ रहा है, जब इतनी शुभ अवधि चल रही है, तो आइए आज शिव जी के सबसे महत्वपूर्ण धाम (Triyuginarayan Temple) में से एक बारे में जानते हैं। दरअसल, हम भगवान शिव के उस पवित्र धाम की बात कर रहे हैं, जहां शिव-पार्वती ने साथ फेरे लिए थे। इस धाम को त्रियुगीनारायण के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ ब्लॉक में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना त्रेता युग में हुई थी। देवी पार्वती राजा हिमावत की पुत्री थी, उन्होंने कठिन तप से भगवान शिव को प्रसन्न कर अपने जीवनसाथी के रूप में पाया था। त्रियुगीनारायण वही स्थान है, जहां पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, जिसके साक्ष्य के रूप में वहां पर कई सारी चीजें आज भी मौजूद हैं, जिनमें से एक विवाह के दौरान जलाया गया अग्नि कुंड भी था। इस दिव्य विवाह में भगवान विष्णु माता पार्वती के भाई बनकर पहुंचे थे और ब्रह्मा जी पुरोहित बने थे। इस मंदिर को लेकर काफी सारी मान्यताएं हैं। ऐसा कहा जाता है कि यहां दर्शन मात्र से कुंवारी कन्याओं की शीघ्र विवाह की इच्छा पूर्ण हो जाती है। साथ ही मनचाहा वर प्राप्त होता है।

Kullu Update
Author: Kullu Update

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