कुल्लू अपडेट नवचेतना स्पेशल स्कूल कुल्लू और चारु फाउंडेशन के द्वारा दिव्यांग बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है जिसके तहत दिव्यांग बच्चों को राखियां तैयार करने के लिए सामान उपलब्ध करवाया गया था और अब दिव्यांग बच्चों के द्वारा राखियां बनाई गयी है | दिव्यांग बच्चो के द्वारा बनाई गयी राखियों को बेचने के लिए कारसेवा संस्था और रोटरी क्लब कुल्लू भी सहयोग कर रहा है जिसके तहत संस्था के द्वारा जिला कुल्लू के सरकारी एवं निजी शिक्षण संस्थानों से संपर्क साधा जा रहा है। इस अभियान की शुरुआत डीएवी स्कूल मौहल से हुई जहां बच्चों द्वारा इन राखियों को खरीदा गया स्कूल की छात्रा स्नेहा ने बताया की वह शमशी की रहने वाली है आज हमारे स्कूल में स्पेशल बच्चे थे वे राखियां लेकर आए थे उन्होंने काफी सुंदर राखियां बनाई थी। बाजार वाली राखियां इनके आगे कुछ भी नही है । इनके प्राइस भी कम है और इनका प्यार , इनके मेहनत और इनके इमोशन देख कर में बहुत प्रभावित हुई हूं । में घर गई और मैंने घर पर बताया की हमारे स्कूल में स्पेशल बच्चे राखियां दिखाने आ रहे है तो मेरे भाई और घर वालों ने भी पैसे दिए । मैंने बहुत सारी राखियां ली। मैंने 1050 रुपए की राखियां ली है जिसके लिए मेरे घर वालों ने और मेरे भाई ने भी सहयोग किया था । मुझे लगता है की जितना हम बाजार से राखियां लेते है उसके बदले हमें इन स्पेशल बच्चों से राखियां लेनी चाहिए और इन सबकी हेल्प करनी चाहिए। वहीं स्कूल की प्रधानाचार्य अंशु सूद ने कहा की सबसे पहले तो में इस आर्गेनाइजेशन का। जो की स्पेशल बच्चों को वोकेशन ट्रेनिंग दे रही है ताकि वे राखी बना सके या कैंडल बना सके और उनको अपने पैरों पर खड़े करने के लिए मेहनत कर रही है इसलिए में उनको बधाई देती हूं । हमनें अपने बच्चों को भी मैसेज दिया था की वे इन बच्चों को मदद करने के लिए आगे आ सकते है और मुझे काफी गर्व है की हमारे बच्चों ने इसमें बढ़ चढ कर भाग लिया और जो उन बच्चों ने जो भी राखियां बनाई थी हमारे बच्चों ने खरीदी और किसी भी तरह से इन स्पेशल बच्चों की मदद की। यह चैरिटी का बहुत अच्छा काम उन्होंने किया जिससे की स्कूल को बहुत अच्छा लगा की और हमें यह पता लगा की हम कैसे दूसरों की मदद कर सकते है। जब हमें इस आर्गेनाइजेशन नवचेतना के बारे में पता चला तो हमनें अपने बच्चों को बताया की किस तरह से हम इन बच्चों की मदद कर सकते हैं । इसमें हमने किसी भी बच्चे को फोर्स नहीं किया यह उनके अंदर खुद से भावना आई। फिर जब उन्होंने अपने घर पर इस बारे में बताया तो उनके घर वालों ने भी उनको सपोर्ट किया होगा । में इस आर्गेनाइजेशन को भी बधाई देती हूं क्योंकि यह इन बच्चों को आत्मनिर्भर बन रही है जो की बहुत बड़ी बात है