कुल्लू अपडेट ,जिले में बुधवार को 20 भादो के अवसर पर पवित्र नदियों में श्रद्धालुओं ने स्नान किया। तो वही, कुल्लू, मनाली, मणिकर्ण सहित अन्य जगहों पर भी लोगो की खासी भीड़ उमड़ी। लोग सुबह से ही पवित्र नदी नालों में स्नान करते हुए नजर आए और उसके बाद इन श्रद्धालुओं ने अपने-अपने देवी देवताओं की भी पूजा अर्चना की। ऐसे में कुल्लू की मणिकर्ण घाटी में भी इस दिन हजारों श्रद्धालु पहुंचे और श्रद्धालुओं के लिए राम मंदिर कमेटी के द्वारा विशेष रूप से भी व्यवस्था की गई। कुल्लू के वशिष्ठ, गड़सा व जिया संगमस्थल के अलावा पवित्र नदी-नालों पर भी लोग सुबह से ही स्नान के लिए जुटे रहे। इसके अलावा कई जगहों पर देवी-देवताओं ने भी अपने हारियानों के साथ संगम स्थल पर आकर शाही स्नान किया। हालांकि बुधवार सुबह घाटी में बारिश होने के कारण ठंड भी हो गई थी। इसके बावजूद भी लोगों में 20 भादो(भाद्रपद) को लेकर उत्साह कम नहीं हुआ। सुबह के समय ठंड के बावजूद लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई। वहीं, कई श्रद्धालुओं ने देवस्थलों में बावड़ी में भी पवित्र स्नान किया। 20 भादो को गड़सा घाटी के ठेला में देवता शौठ निहारगुडू के दर्शनों को उमड़े श्रद्धालु
हज़ारों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी,जेष्ठा के देवता लक्ष्मी नारायण जी भी पधारे शौठ निहारगुडू में हज़ारों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी,भजन कीर्तन भी हुआगौर रहे कि 20 भादो के स्नान का काफी महत्व है। स्थानीय लोगों की आस्था और मान्यता के अनुसार 20 भादों के दिन पहाड़ों पर उगी जड़ी-बूटियां पानी के माध्यम से निचले क्षेत्रों में पंहुचती हैं और इस दिन प्राकृतिक जल स्रोतों पर स्नान करने से शरीर संबंधित सभी बीमारियां खत्म हो जाती हैं। भाद्रपद मास में पहाड़ों पर उगने वाली जड़ी-बूटियों का विशेष गुण रहते है और नदी-नाले किनारे होने के कारण इनके औषधीय गुण भी पानी में मिल जाते हैं। कुल्लू के स्थानीय लोगों का भी मानना है की भाद्रपद मास खत्म होने के बाद जड़ी बूटियों के पौधे भी सूखने लगते हैं। ऐसे में भाद्रपद मास का स्नान लोगों की सेहत के लिए भी काफी खास रहता है। बरसात के मौसम में अधिकतर नदी-नालों का पानी भी एक दूसरे से मिलता है। इस अवसर पर जिया संगम में भी कई देवी देवताओं ने अपने श्रद्धालुओं व हारियानों के साथ पवित्र स्नान किया है। 20 भादो के अवसर पर स्नान करने से चर्म रोग दूर होते हैं और पाप कर्म से भी मुक्ति मिलती है।