कुल्लू अपडेट,हिमाचल प्रदेश में जो आज राजनीतिक अस्थिरता आई है उसके लिए सिर्फ मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह दोषी है। मुख्यमंत्री आज बहुमत ना होने से घबरा गए हैं और राजनीतिक नाकामी को छुपाने के लिए वह आज अनाप-शनाप बयान बाजी भी कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष एवम पूर्व मंत्री गोविंद ठाकुर और बंजार के विधायक सुरेंद्र शौरी ने सीएम सुखविंदर सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि आज प्रदेश में आम आदमी, कांग्रेस के नेता, पदाधिकारी, विधायक, मंत्री सब कांग्रेस सरकार की कारगुजारियों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री अपने दरबारी, राजनीतिक सिपाहियों से घिरे रहते हैं। वही विधायकों को अपमानित करते हुए हर आवाज को अनसुना भी कर रहे हैं। आज कांग्रेस के विधायक ही कह रहे हैं कि उनका छोटा सा छोटा काम भी नहीं हो रहा है और उनकी फरियादें कचरे में डाल दी जाती है। जबकि मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश का होता है और उन्हें राजनीतिक भावना से ऊपर उठकर विकास कार्यों पर ध्यान देना चाहिए। भाजपा नेता गोविंद ठाकुर और सुरेंद्र शौरी ने कहा कि आज कांग्रेस के विधायक कह रहे हैं कि कांग्रेस सरकार के राज में हिमाचल में तानाशाही चल रही है और पूरे प्रदेश में बदले की भावना से काम हो रहा है। यह सब राजनीतिक परिस्थिति मुख्यमंत्री सुखविंदर की नाकामी और तानाशाही रवैया के चलते हुई है। वहीं राजनीतिक दबाव के चलते विधायकों तथा उनके परिवारों के साथ भी ज्यादती हो रही है तथा उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। इसके अलावा कांग्रेस के 6 विधायकों के घर के बाहर दीवार लगा दी जाती है और उनसे जुड़े नगर निगम के पार्षदों को भी निष्कासित किया जाता है। वहीं सरकार विधायकों के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को भी निशाना बना रखी है। भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस के छोटे कार्यकर्ताओं को खंड स्तर पर भी मुख्यमंत्री का प्रकोप झेलना पड़ रहा है। इसके अलावा विधायकों के खिलाफ सरकार द्वारा सुनियोजित तरीके से प्रदर्शन किया जा रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री आज प्रदेश में क्या साबित करना चाह रहे हैं। वहीं दूसरी और हिमाचल में विकास कार्य ठप्प है और मुख्यमंत्री सिर्फ अपनी कुर्सी बजाने के चक्कर में लगे हुए हैं। जब कांग्रेस सत्ता में आई थी तब मुख्यमंत्री कर्ज का रोना रो रहे थे। वही आपदा में पैसा ना मिलने और अब विधायक के फिसल जाने पर भाजपा को भी कोस रहे हैं। गोविंद ठाकुर और सुरेंद्र शौरी का कहना है कि मुख्यमंत्री की आदत है कि वह रोकर जनता की सहानुभूति पाने का प्रयास करते हैं। लेकिन अब जनता उनकी इस चाल को समझ चुकी है। इसके अलावा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने भी सरेआम कहा था कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं की कोई सुनवाई नहीं है और मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी त्यागपत्र दिया था। ऐसे में अब प्रदेश की जनता जानना चाहती है कि क्या विकास की आवाज उठाना गलत है। जब 6 विधायकों ने अपने क्षेत्र के विकास की आवाज उठाई तो उन्हें दंडित किया गया। ऐसे माहौल में राज्यसभा चुनाव में उनका रोष सामने आया और उनकी पीड़ा से राज्यसभा चुनाव पर भाजपा के उम्मीदवार पर मोहर लगी। अब मुख्यमंत्री को इस बात का जवाब देना चाहिए कि उनके विधायकों ने कांग्रेस के इलेक्शन एजेंट को दिखाकर भाजपा प्रत्याशी को जब वोट दिया तो इससे साफ पता चलता है कि मुख्यमंत्री और सरकार के प्रति उनके मन में कितना रोष है। अब मुख्यमंत्री अंतरात्मा में विश्वास नहीं रखते हैं। जबकि उनके ही विधायक कह रहे हैं कि उन्होंने अंतरात्मा की आवाज पर हिमाचल के हर्ष का साथ दिया। तो ऐसे में मुख्यमंत्री उन पर अब कई आरोप लगाकर उन्हें सत्ता के दुरुपयोग से परेशान भी कर रहे हैं। लेकिन उनके यह आरोप किसी काम नहीं आएंगे और अब जल्द ही उन्हें इन सब बातो का जबाव प्रदेश की जनता को देना होगा।