कुल्लू अपडेट ,भारतीय पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीना आखिरी महीना होता है । और फाल्गुन मास की पूर्णिमा साल की आखिर पूर्णिमा है । तो ऐसी पद्धति रही है कि इस दिन घर की पुरानी चीज़ों को इकट्ठा करके उसकी होली जलाते हैं।
होली का क्या सन्देश है
होली का संदेश है- शत्रु को भी मित्र बना लेना; कोई भी आपका शत्रु रहे ही नहीं । युधिष्ठिर एक ऐसे व्यक्ति थे जो ‘अजातशत्रु’ थे, जिनका कोई शत्रु पैदा ही नहीं हुआ। शत्रु क्यों पैदा होता है? जब अपने आप में शत्रुत्व हो तो शत्रु पैदा हो जाता है। अपने आप में कोई शत्रुत्व ना रहे तो कोई शत्रु भी नहीं पैदा होगा। हाँ, यदि दूसरे कोई खुद ही अपने आप को शत्रु मान लें तो हमें कोई हर्ज नहीं। अपनी तरफ से कोई आपको शत्रु मान ले तो वो उनका सिरदर्द है। इससे वे ही अपनी नींद हराम कर लेते हैं, जीवन भर हैरान रहते हैं फिर तकलीफ में जीते रहते हैं ।
होलिका दहन की कथा :- दक्षिण भारत में होली के विषय में एक पौराणिक कथा प्रचलित है। एक समय में जगत में आसुरी शक्तियाँ बहुत बढ़ने लगी थीं। तारकासुर नाम का एक असुर सभी को बहुत अधिक पीड़ा दे रहा था। उसने ब्रह्मा जी से वर प्राप्त कर लिया था कि उसकी मृत्यु केवल शिव जी के पुत्र द्वारा ही हो सकती थी लेकिन शिवजी तो आंख बंद करके तपस्या में लीन रहते थे। तो तारकासुर के बढ़ते उत्पात के कारण कामदेव ने शिव जी को जगाने के लिए अपने बाण से उनकी तपस्या भंग कर दी । जब शिव जी की तपस्या भंग हो गयी तो उन्होंने अपना तीसरा नेत्र खोलकर कामदेव को भस्म कर दिया और काम का दहन कर दिया ।
होलिका के अवसर पर क्या करें :- होली आने वाले नए साल की तयारी है। तो होलिका के अवसर पर आप मन में जो भी पुरानी कामनाएं इकट्ठी करके रखते हैं उन सभी कामनाओं को जला डालिए। पुरानी कामनाओं को समाप्त करने से एक नया जीवन शुरू हो जाएगा। यदि हम काम को नहीं जलाते हैं तो काम हमको जला देता है । और कामनाओं को जलाने का मतलब है तृप्त हो जाना, पूर्ण हो जाना, समर्पण कर देना।
होली के दिन रंग खेलने की कहानी क्या है :- जब शिवजी ने नेत्र खोलकर काम को भस्म कर दिया । तो सारे देवता घबराने लगे कि यदि काम संपूर्ण रूप से समाप्त हो जाएगा तो दुनिया में फिर कुछ चलेगा ही नहीं क्योंकि किसी में कोई कामना ही नहीं उठेगी और दुनिया तो कामनाओं से चलती है । फिर शिव जी ने होली के दिन नयी कामना ‘सत्यकाम’ की सृष्टि की! और इस तरह से नीरस जीवन में नयी कामनाओं का उदय हुआ। और लोगों का जीवन रसमय हो गया। तब सभी लोगों नें रंगों से होली खेलीऔर उत्सव मनाया। तारकासुर का वध करने के लिए, शिव और शक्ति ने मिलकर कार्तिकेय को जन्म दिया। और बाद में कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर संसार को उसके उत्पात से मुक्त कर दिया।
विदेशों में भी उपयोग करते हैं होलिका दहन की प्रक्रिया :- अमेरिका में पिछले आठ दस साल से साइकॉलजिस्ट आग लगाकर सबको बोलते हैं कि आपकी जो-जो परेशानियाँ या अवगुण हैं, वह सब लिखकर इस आग में डालते जाइए। फिर लोग लिखते हैं ‘मुझे बहुत गुस्सा आता है’.. ‘मैं तुमसे नफरत करता हूँ’.. आदि और उस आग में जला कर उसकी परिक्रमा करके जाते हैं। भारत में यह सब चीजें सदियों से हो रही हैं । तो इस तरह से होली जलाइये और नफरत, द्वेष सबको, पुरानी सारी बातों को जला डालना है । और फिर सबको प्यार के रंग में रंग देना है। होली के अवसर पर सब को गले लगाइए, उन्हें रंग लगाइए, किसी को पांव छूकर प्रणाम कीजिये, किसी का माथा चूम कर उनको प्रणाम कीजिये। प्रेम फैलाइए। रंग-बिरंगी होली पर सब जगह अपनत्व के रंग को फैलाइए ।