आस्था अपडेट , चैत्र नवरात्रि की शुरूआत हो चुकी है। इस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी। ब्रह्मचारिणी माता सौभाग्य और संयम प्रदान करने वाली हैं। नवरात्रि में मां देवी को प्रसन्न करने के लिए पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। बता दें, मां देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप है अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप है। ब्रह्म का मतलब तपस्या होता है, वहीं चारिणी का मतलब आचरण करने वाली। इस तरह ब्रह्माचारिणी का अर्थ है- तप का आचरण करने वाली देवी। मां ब्रह्माचारिणी का रूप मन मोह लेने वाला है। उनके दाहिने हाथ में मंत्र जपने की माला और बाएं में कमंडल होता है। ऐसी मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से सभी रूके हुए कार्य पूरे हो जाते हैं। इसके अलावा जीवन से हर तरह की परेशानियां भी खत्म होती हैं। मां देवी की पूजा करने के लिए कुछ विशेष मंत्रों का जाप भी किया जाता है। आइए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने की विधि व मंत्र को विस्तारपूर्वक जान लेते हैं।
ऐसे पड़ा माता का नाम ब्रह्मचारिणी :- शास्त्रों में बताया गया है कि मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया और महर्षि नारद के कहने पर अपने जीवन में भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। हजारों वर्षों तक अपनी कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा। अपनी इस तपस्या की अवधि में इन्होंने कई वर्षों तक निराहार रहकर और अत्यन्त कठिन तप से महादेव को प्रसन्न कर लिया। उनके इसी तप के प्रतीक के रूप में नवरात्र के दूसरे दिन इनके इसी रूप की पूजा और स्तवन किया जाता है।
माता ब्रह्मचारिणी पूजा विधि
माता ब्रह्मचारिणी की पूजा पहले दिन की तरह ही शास्त्रीय विधि से की जाती है। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत होकर पूजा स्थल पर गंगाजल से छिड़काव करें और पूरे परिवार के साथ मां दुर्गा की उपासना करें। माता ब्रह्मचारिणी की पूजा में पीले रंग के वस्त्र का प्रयोग करें और पीले रंग की चीजें ही अर्पित करें। माता का पंचामृत से स्नान कराने के बाद रोली, कुमकुम अर्पित करें। इसके बाद अग्यारी करें और अग्यारी पर लौंग, बताशे, हवन सामग्री आदि चीजें अर्पित करें, जैसा आपके घर पर होता हो।मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में पीले रंग के फल, फूल आदि का प्रयोग करें। माता को दूध से बनी चीजें या चीनी का ही भोग लगाएं। इसके साथ ही मन ही मन माता के ध्यान मंत्र का जप करें और बीच बीच में पूरे परिवार के साथ माता के जयकारे लगाते रहें। इसके बाद पान-सुपारी भेंट करने के बाद प्रदक्षिणा करें। फिर कलश देवता और नवग्रह की पूजा करें। इसके बाद घी के दीपक व कपूर से माता की आरती करें। फिर दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती आदि का पाठ करें। पूजा पाठ करने के बाद फिर माता के जयकारे लगाएं। साथ ही शाम के समय भी माता की आरती करें।