लाइफस्टाइल (हेल्थ एंड फिटनेस ) ,लिवर की बीमारियां वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती हुई रिपोर्ट की जा रही हैं। फैटी लिवर से लेकर लिवर डैमेज और लिवर फेलियर की समस्याओं का खतरा कम आयु के लोगों में भी देखा जा रहा है। लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के कारण ये दिक्कतें हो सकती हैं। पर क्या आप जानते हैं कि कुछ प्रकार की दवाएं भी शरीर के इस अंग के लिए नुकसानदायक साबित हो रही हैं?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, कुछ प्रकार की दवाओं का अधिक सेवन लिवर में होने वाली क्षति का प्रमुख कारण हो सकती हैं, इसे ड्रग इंड्यूस्ड लिवर इंजरी कहा जाता है। अध्ययनों में देखा गया है कि ऐसी अनेक एलोपैथिक दवाएं हैं, जो लिवर को नुकसान पहुंचाती हैं। उदाहरण के लिए, टीबी में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली दवाएं लिवर को नुकसान पहुंचा सकती हैं, जिसको एंटी ट्यूबरकुलर ड्रग ट्रीटमेंट इंड्यूस्ड हेपेटाइटिस कहते हैं। ऐसी दवाओं की सूची काफी लंबी है और इसके ऊपर ज्यादा शोध भी हुआ है। जब लिवर में कोई समस्या होती है या फिर इसमें खराबी हो जाती है तो इसके काम करने की क्षमता कम हो सकती है। ऐसी स्थितियों में पीलिया, खून का पतला होना (कोगुलोपैथी) और बेहोशी जैसे गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
हर्बल दवाएं भी हो सकती हैं हानिकारक :- सिर्फ एलोपैथिक ही नहीं हर्बल दवाएं भी इस अंग को क्षति पहुंचाती हुई देखी जा रही हैं। आजकल लोगों का झुकाव कॉम्प्लिमेंटरी एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन और हर्बल दवाओं की ओर बढ़ रहा है। ऐसा माना जाता रहा है कि ये दवाएं ज्यादा सुरक्षित होती हैं। हर्बल दवाओं में भी एलोपैथिक दवाओं की तरह कुछ रासायनिक यौगिक हो सकते हैं। ऐसे में ये भी एलोपैथिक दवाओं की तरह लिवर को नुकसान पहुंचा सकती हैं, इस स्थिति को हर्बल इंड्यूस्ड लिवर इंजरी कहते हैं।
दैनिक इस्तेमाल वाले कुछ खाद्य पदार्थों को लेकर भी रहें सावधान
भारत में भी कुछ सेंटर हैं, जो लगातार हर्बल इंड्यूस्ड लिवर इंजरी के बारे में रिपोर्ट करते रहते हैं रिपोर्ट्स के अनुसार रोजाना खाने में इस्तेमाल होने वाले खाद्य पदार्थों के रसायनिक अवलोकन के जरिये उनमें केमिकल इंग्रेडिएंट्स की डिटेल की मैपिंग की गई, जिसकी जानकारी कई हेल्थ जर्नल में प्रकाशित की गई हे। इसमें कुछ बहुत ही आम चीजें हैं, जैसे कि सभी लोग हल्दी का सेवन करते हैं। अधिक मात्रा में कच्ची हल्दी का सेवन करने से कुछ लोगों में हेपेटोटॉक्सिक यानी लिवर को ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है। हालांकि इसका प्रतिशत बहुत कम होता है और इसमें ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है।
ज्यादा गिलोय भी हानिकारक
यह भी देखा गया है कि अगर काली मिर्च के साथ इसका सेवन किया जाए तो इससे हेपटोटोक्सिसिटी हो सकता है। यह लिवर के लिए हानिकारक होता है। कोविड के दौरान गिलोय एक वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में उभरकर आया था। उस समय गिलोय के सेवन के कारण होने वाली लिवर इंजरी काफी हद तक सामने आई थी।